सीकर में 2 लाख किसानो और हजारो ट्रेक्टर वाला प्रोग्राम पूरी तरह बैठ गया जब पहले से ही किसानो ने कह दिया कि हम नहीं आ रहे | विदेशी फंडिंग का पता चलने के बाद ऐसा होना ही था और सीकर में जागरूकता इतनी ज्यादा है कि रिजल्ट फटाफट दिख जाता है
आड़त मंडी में सभा कर दम दिखाना था
वैसे राजस्थान में तीनो कानूनों के खिलाफ किसान है ही नहीं और ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्यूंकि कानूनों के आने के बाद हुए सभी चुनावों में भाजपा को उम्मीद से भी ज्यादा सीट मिली है और गांव में उसका वोट आधार बढ़ गया है | नोटबंदी की तरह ही कमीशनबंदी को यहाँ के ग्रामीण एरिया में क्लीन चिट मिल गई है, ऐसे में यहाँ से शाहजहांपुर में गए राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता अपने आप को किसान बनाकर चाहे पेश कर दें मगर उनके वोट बढ़ने की जगह घटकर बहुत कम हो गए हैं
दो तीन हजार किसान तो वैसे भी रोज आते हैं मंडी
किसान जब मंडी आता है तो दोपहर तक शहर में अपना काम ख़तम कर लेता है और शाम होने तक इधर उधर व्यवहार बनाने में, चाय पर चर्चा करने में व्यतीत हो ही जाता है तो मंडी में छोटी मोटी सभा होती है तब भी दो तीन हजार की भीड़ मायने नहीं रखती यहाँ पर भी अलग से कोई भीड़ आई दिखाई नहीं दी जिसका कोई मैसेज दूर तक जा पाए
वीडियो में देखिये असली भीड़
सीकर पहुँचते ही आंदोलन को या तो जबरदस्त हवा मिलती है या वो दम तोड़ देता है यहाँ ऐसा लग रहा है कि आंदोलन दम तोड़ चूका है | वैसे पूरे एक घंटे से ज्यादा की अलग अलग एंगल की फुटेज है , साथ ही भीड़ के बाहर जाने वाले दोनों गेट पर भी हमारे कैमरे लगे थे, जरुरत पड़ेगी तो एक और डिटेल्ड वीडियो बनाया जाएगा
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