राजाराम मील जो जाट महासभा के संरक्षक एवं अध्यक्ष हैं और जिनके नाम से हजारों जाट इकट्ठे हो जाते हैं उनको आगे कर सीकर महापंचायत के लिए जैसे तैसे जाट किसान इकट्ठे किये गए | दांतारामगढ़ का किसान नन्द किशोर बताता है कि हम तो किसी कामरेड सभा के आस पास भी नहीं फटकते मगर राजाराम मील के लिए हम सीकर आये हैं | हमें तो बताया था कि जाट महापंचायत हो रही है, आरक्षण बढ़ाने के नाम की
कौन है राजाराम मील जिनकी वजह से जाट किसान आये
राजस्थान में 1999 के दौरान बहुत बड़ा जाट आरक्षण आंदोलन हुआ था जिसको राजा राम मील ने संचालित किया था | राजस्थान के इतिहास में सबसे बड़े आंदोलनों में से एक था और जयपुर के विद्याधर नगर में पांच लाख से ज्यादा जाट इकट्ठे हुए बताये जाते हैं | उस समय मीडिया इतना था नहीं इसलिए कितने लोग आये इसका पता नहीं मगर जैसा लोग बताते हैं वहां अभूतपूर्व भीड़ थी
सीकर में ही अटल बिहारी वाजपाई ने जाटों के आरक्षण की घोषणा की थी
राजाराम मील के अगुआई में सीकर में अटलबिहारी वायपेयी जो तत्कालीन प्रधानमंत्री थे उन्होंने राजस्थान में जाट आरक्षण की बात स्वीकारी और एलान किया | सुभाष महरिया जो कांग्रेस के कद्दावर नेता थे और राजाराम मील के नजदीकी थी उन्होंने इसके बाद भाजपा का दामन पकड़ लिया और चुनाव जीत केंद्रीय मंत्री भी बने मगर राजाराम मील राजनीती में नहीं आने पर कायम रहे | राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने के लिए सीकर और राजाराम मील का नाम बेहद प्रचलित हो गया इसलिए सीकर के जाट तो राजाराम का नाम सुनते ही चले आते हैं, चाहे मुद्दा कोई भी हो
गांव में राजाराम मील के नाम का घर घर में उपयोग हुआ
सीकर में कामरेडों की हालत बहुत ख़राब है, उनकी हालत ये है कि सीकर विधानसभा में NOTA से ही टक्कर लेते हैं और पूरे जिले में इनकी कोई सीट नहीं है | कामरेड सुप्रीमो अमराराम तो अपने खुदके गांव से अपनी पुत्रवधु (महिला सीट) तक को नहीं जितवा पाए इसलिए भीड़ को इकठ्ठा करने के लिए जाटों में राजाराम के नाम का इस्तेमाल भरपूर किया गया
योगेंद्र यादव और टिकैत पहले भी आते रहे हैं सीकर मगर भीड़ नहीं आती
मौजूद वक्ताओं में योगेंद्र यादव हों चाहे टिकैत और चाहे अमराराम, तीनो के नाम से जाटों की उपस्तिथि नहीं होती और जब नब्बे प्रतिशत तक उपस्थित भीड़ केवल जाटों की लगे तो कोई दोराहे नहीं है कि ये किसान महापंचायत नहीं राजाराम मील की जाट महासभा ही है
Post a Comment