महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र राकेश टिकैत को कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश और पश्चिमी राजस्थान के अलावा कहीं कहीं हरयाणा में भी पहचाना जाता था मगर वो इतने बड़े नाम नहीं थे कि उनकी एक्सक्लूसिव फैन फोल्लोविंग हो | कई किसान मंचों पर उनके भाषण पर साधारण तालियां जरूर बजती थी मगर फोटो खिंचवाने के लिए कभी भागमभाग नहीं हुई | 

किसान आंदोलन में केवल एक नेता रह गया है उसका नाम है टिकैत 

जैसे ही किसान आंदोलन के नाम की आहट होती है हर जगह के नेता जिन्होंने किसानी अपनी जिंदगी में कभी नहीं भी की हो वो भी अपनी बड़ी बड़ी गाड़ियों में समर्थकों को लेकर पहुँच जाते थे और मंच पर भाषण देकर सरकारों को कोसा करते थे, हर बात को सरकारी साजिश, पूंजीपतियों की तिजोरी और अपने आप को एकमात्र किसानो का मसीहा बताने का आलम रहता था और इस बार भी ऐसा ही हो रहा था, मगर समय की करवट और lockdown के बाद की सोशल मीडिया रातोरात किसको क्या बना दे उसका अंदाजा टिकैत को भी नहीं था | आज के दिन में किसान आंदोलन के नाम पर देश के कोने कोने में केवल टिकैत को ही जाना जा रहा था है वहां के लोकल किसान नेताओं की पूछ बहुत हद हैट समाप्त होती जा रही है 


हनुमान बेनीवाल की राजनैतिक स्तिथि शुन्य पर सिमट रही है 

राजस्थान में अपनी आई टी टीम और भाजपा की मदद से किसान नेता के तौर पर स्थापित हुए हनुमान बेनीवाल जिन्हे कभी किसी ने किसानी करते शायद ही देखा हो उन्हें भी किसान आंदोलन में अपनी रोटियां सेंकने और बड़ा नेता बनकर उभरने का पूरा भरोसा था | भाजपा के सपोर्ट से जैसे तैसे संसद बने बेनीवाल को ये भी भरोसा था कि उनके साथ लाखों की भीड़ किसान आंदोलन में हिस्सा लेगी और उन्होंने एलान भी कर दिया कि 6 लाख से ज्यादा किसानो को लेकर मैं दिल्ली आ रहा हु, हर जगह कम्पैन चलाई और पूरे कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया मगर लाख और हजार तो छोड़िये केवल 224 लोग हो बेनीवाल कैंप में पहुंचे जिसमें से भी केवल 20 ही अगले दिन तक रहे | 

निकाय चुनाव में बेनीवाल की पार्टी अपने घर में शून्य पर सिमटी 

आंदोलन के बीच निकाय चुनाव हुए और नागौर में हनुमान बेनीवाल के समर्थकों को भरोसा था कि किसान आंदोलन को दिए समर्थन की वजह से भारी जीत मिलेगी मगर परिणाम आये तो शून्य सीटों के साथ RLP  का अस्तित्व निकाय में ख़त्म हो गया 

ट्रेक्टर रैली में लाखों ट्रेक्टर की जगह 40 ट्रेक्टर आये 

बाड़मेर में हनुमान बेनीवाल ने एक रैली की थी जिसको वो 10 लाख किसानो की रैली बताते हैं, वैसे असल बात तो ये है कि जो पंडाल उस रैली का था उसमें 10 हजार से ज्यादा लोग कैसे भी नहीं आ सकते थे जिसके विस्तृत काउंटिंग के वीडियो मिलियन से ज्यादा बार देखे जा चुके हैं उसी बाड़मेर में बेनीवाल की ट्रेक्टर रैली में 40 ही ट्रेक्टर पहुंचे जहाँ लाखों ट्रेक्टर पहुँचने की उम्मीद थी 


टिकैत को योगी ने खुद फ़ोन किया बेनीवाल का फ़ोन कार्यकर्ताओं तक ने नहीं उठाया 

राजस्थान में कई कॉल रिकॉर्डिंग व्हाट्सप्प पर चल रही हैं जहाँ रआलोपा के लिए धरने पर पहुँचने के एवज में 800 रूपये देने जाने की बात हैं जो वहां पहुंचे लोगो के बहुत कम संख्या से मेल खाती है और ये भी देखा गया कि उपस्थित गिने चुने लड़कों में किसान कोई नहीं लग रहा था वहीँ दूसरी ओर टिकैत के साथ योगी की बातचीत न्यूज़ मीडिया में छाई रही | राजनाथ सिंह के टिकैत के सम्मान में कहे वीडियो को भी हर जगह लोग वाइरल कर रहे थे | सभी का मानना था कि दोनों पार्टियां एक दूसरे के लिए जितना सम्मान रखती हैं वहां बातचीत करके दोनों पक्षों की अपनी अपनी बातों को ठीक प्रकार से समाधान किया जा सकता है 



किसान आंदोलन ने राजस्थान के किसान नेताओं को हाशिये पर ला दिया 

टिकैत आज के सबसे बड़े किसान नेता हैं और राजस्थान में भी किसान उन्हें ही सबसे बड़ा नेता मान रहे हैं वहीँ आंदोलन से पहले गैर किसान जो किसान नेता बने भाषण देते थे और कहते थे कि वो उनके लिए ही लड़ रहा है उनको किसानो ने पूरी तरह नकार दिया, न उनके कहने पर 50 लोग इकट्ठे होकर आंदोलन कर पाए और न ही 40 से ज्यादा ट्रेक्टर एक जगह इकठ्ठा कर पाए 



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