सैलाब कैसे आया इसको फ़िलहाल समझ नहीं पा रहे हैं वैज्ञानिक क्यूंकि जिन वजहों से ऐसा होता है उन वजहों में एक भी तथ्य फिट नहीं बैठता है 

ज्यादा बारिश होने से टूटी LAKE के कारन आता है सैलाब

बारिश होने की बात पिछले तीन दिन में सामने नहीं आई थी जैसा कि weather रिपोर्ट में मौजूद है साथ ही लोकल भी इसकी पुष्टि करते हैं


ग्लेशियर का बड़ा हिस्सा मौजूदा LAKE में गिरने से टूट सकती है लेक 

अगर लेक में जमा पानी को किसी प्रकार बड़ी हलचल का सामना करने पड़े जैसे कोई बड़ा भूकंप या कोई बहुत बड़ा बर्फ का टुकड़ा तो ऐसे में किनारे टूटने की वजह से लेक खाली होकर निचे की ओर तबाही मचा सकती है मगर Metrological डाटा के हिसाब से वहां कोई लेक थी ही नहीं जिसकी वजह से ऐसा हो सके 

अप्राकृतिक बारिश का सिरमौर है चीन जिसकी सीमा नजदीक ही है 

चीन ने हाल ही में 1.35 बिलियन डॉलर मौसम को बदलने वाली तकनीक के लिए खर्च किये हैं जो सभी मीडिया हाउस में व्यापक तौर से छापा है साथ ही भारत को इससे सतर्क रहने की बात भी इंटरनेशनल मीडिया हाउस ने दिसंबर में ही प्रकाशित किया था 


Metrological Department के पूर्व Director General क्या कहते हैं 

डॉ लक्ष्मण सिंह राठोड ने विस्तार से बताया किस तरह पूरे एरिया की इंच इंच जगह की स्प्रैक्ट्रल स्कैनिंग हुई है और और अगर वहां प्राकृतिक रूप से कोई घटना हुई होती तो सामने आ जाती मगर अभी इतनी बड़ी घटना का कोई वैज्ञानिक तौर पर जवाब नहीं दिया जा सकता | चीन के वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम के बारे में उन्होंने कोई टिपण्णी करने से मना कर दिया मगर इसमें चीन की डकैत हो सकती है इस बात से भी इंकार नहीं किया | वीडियो देखें  



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