चीन ने 15 जनवरी को ही कह दिया था कि वो भारत की परेशानियों को हरा करेगा और विभाजनकारियों को मदद करेगा 

ग्लोबल टाइम्स में लिखित धमकी दे चुका है 

किसान आंदोलन को लेकर जितना कवरेज भारत की मीडिया नहीं कर रही उससे कहीं ज्यादा चीनी कम्युनिस्ट सरकार का आधिकारिक मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स कर रहा है, चीन के अंदर की खबर पिछले कई दिनों से वहां का अखबार नहीं दे रहा और भारत के किसान आंदोलन को ख़ास तौर पर तरजीह देकर अपनी मंशा साफ़ कर रहा है 15 जनवरी को लिखी खबर (लिंक यहाँ है) में चीन कह चुका है कि वो भारत में विभाजनकारियों को बढ़ावा देगा और जितना हो सके भारत के अंदरूनी मसलों को प्रभावित करेगा 

शाहजहांपुर में किसान आंदोलन पूर्णतः एक राजनैतिक आंदोलन है 

शाहजहांपुर में माकपा के कामरेड अमराराम जो एक हारे हुए विधायक है वो आंदोलन को गैर राजनैतिक होने की बात कह रहे हैं, गरीबी का दिखावा करने वाले पूर्व विधायक स्कार्पियो में घुमते हैं और उनके आंदोलन में शामिल होने वाले सैंकड़ों कॉलेज के विद्यार्थियों पर कई केस चल रहे हैं जो अब सरकारी नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं रह गए | पूंजीपतियों के खिलाफ भाषण देने वाले पूर्व विधायक के बेटों के पास पूंजीपतियों जैसा तामझाम है, ऐशो आराम का पूरा इंतजाम है | कई बार धारा 144 में कॉलेज के विद्यार्थियों को गुमराह करके पुलिस से डंडे पड़वाए और भोले भाले बच्चों पर केस दर्ज करवाने जैसी स्तिथि में पहुँचाने का काम किया है| अमराराम चीन के माओ ज़ेडांग के घोर समर्थक हैं जिन्होंने भारत की पीठ में छुरा घोंपने और अक्साई चिन पर कब्ज़ा करने वाला काम किया था| भारत में रहकर यहाँ के लोगों को माओ के कसीदे पढ़ने वाले कामरेड सोशल मीडिया के आने के बाद जागरूकता बढ़ने की वजह से दोबारा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पा रहे हैं 

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