केजरीवाल के नक्शेकदम पर योगेंद्र यादव इतनी जल्दी आ जाएंगे सोचा नहीं था| कुछ ही समय पूर्व उनकी और केजरीवाल की दोस्ती यारी इतनी तगड़ी थी कि लोग दोनों की बातें एक ही माना करते थे, मगर सत्ता के संघर्ष में केजरीवाल ने अपने सभी कांटे निकाल फेंके जिनमें प्रमुख काँटा यादव ही थे, इसके बाद यादव अपनी प्रमुख मांग कोई राजनैतिक पार्टी नहीं बनाने वाली भूले और खुद स्वराज इंडिया के नाम से राजनैतिक पार्टी बना डाली अब वो राजनेता से दोबारा वैचारिक आंदोलन में हाथ आजमा रहे हैं साथ ही कौन किसान है या नहीं इसका फैसला सरकारी दस्तावेज से नहीं सोशल मीडिया पर सर्टिफिकेट बाँट और कैंसिल कर अपनी पैरेलल सरकार चला रहे हैं
भाजपा के नेताओं के साथ योगेंद्र यादव की मीटिंग क्या दर्शाती है
अभी कल ही यानि 26 जनवरी को यादव ने किसान आंदोलनकारी की फोटो को प्रधानमंत्री के साथ दिखाकर उनको एजेंट घोषित कर दिया उनका तर्क यह था कि फोटो सार्वजनिक जगह की नहीं होकर किसी के निवास स्थान की है और वहां पर इतनी नजदीकी साफ़ जाहिर करती है कि आंदोलनकारी भाजपा का एजेंट है जिसने कल लाल किले पर हिंसा को अंजाम दिया था
अगर ऐसी बात सही है तो योगेंद्र यादव भी भाजपा के एजेंट ही हुए क्यूंकि जो फोटो यहाँ दिख रही है जो किसी निजी स्थान की ही है और यहाँ पर योगेंद्र यादव भाजपा के नेता मेजर सुरेंद्र पूनिया और डॉ रामदेव के साथ दिख रहे है|
कौन है मेजर सुरेंद्र पूनिया जिनके साथ यादव दिख रहे हैं
भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता जो अपने विवादित बयानों से बेहद चर्चा में रहते हैं वो इस ख़ास मीटिंग में देखे जा सकते हैं |
कौन हैं डॉ रामदेव जो योगेंद्र यादव के साथ ख़ास मीटिंग में हैं
भाजपा सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ गले मिलते दिख रहे डॉ रामदेव को जिले में सभी जानते हैं कि वो कॉलेज के समय से ही शेखावत के परम मित्र रहे हैं
योगेंद्र यादव की थ्योरी के अनुसार योगेंद्र यादव भाजपा के एजेंट हुए कि नहीं ?
अब अगर ये देखा जाए कि योगेंद्र यादव ये मानते हैं कि निजी मीटिंग में फोटो खिंचवाने वाले सब मिले हुए होते हैं तो वो खुद भाजपा के कहे अनुसार ही काम कर रहे हैं साथ ही ये मीटिंग केजरीवाल द्वारा योगेंद्र को निकाले जाने के बाद मीडिया में यादव को केजरीवाल के खिलाफ हथियार के तौर पर पेश करने के समय की ही है
किसान आंदोलन विशुद्ध राजनैतिक आंदोलन है
कहने को किसान आंदोलन में किसी राजनेता को जगह नहीं मिल रही मगर अपने आप को लीडर घोषित करने और प्रवक्ता बनने के बाद स्वराज इंडिया राजनैतिक पार्टी के योगेंद्र यादव किस प्रकार खुद अपने ही बनाये रूल चबाकर तानाशाही कर रहे हैं
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